About Me: भीड़ में से ही एक हूँ। एक कीड़ा है अंदर जो वर्तमान में सहज न रहकर भविष्य की सोच में रहता है, अपने अलावा सबकी चिंता में रहता है। एक खेतिहर संयुक्त परिवार से हूँ, वाजिब है, मिट्टी का सोंधापन भी है अंदर कहीं न कहीं। मेरे गाँव में दबी हैं जड़ें मेरी, जो ख़ुद को शहर की रंगीनियों से मुरझाने को बचाने में प्रयासरत है।